डोनाल्ड ट्रंप का “टैरिफ वाला तूफान” वाकई में एक ऐसी नीति थी जिसने न सिर्फ अमेरिका की अर्थव्यवस्था को झकझोरा, बल्कि पूरी दुनिया के ट्रेड सिस्टम को भी हिला कर रख दिया। चलिए आसान भाषा में समझते हैं कि ये टैरिफ वाला तूफान क्या था, इसका मकसद क्या था, और इससे किसे फायदा या नुकसान हुआ:
💣 क्या था ट्रंप का ‘टैरिफ वाला तूफान’?
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने राष्ट्रपति कार्यकाल (2017–2021) के दौरान एक बड़ी ट्रेड वॉर यानी व्यापार युद्ध छेड़ा। उन्होंने चीन, यूरोप, कनाडा और कई अन्य देशों से आने वाले प्रोडक्ट्स पर भारी आयात शुल्क (Import Tariffs) लगा दिए।
🎯 उनका मकसद था – “America First” यानी अमेरिकी कंपनियों और वर्कर्स को फायदा पहुंचाना।
🔍 मुख्य निशाना: चीन
ट्रंप ने सबसे ज्यादा फोकस किया चीन पर।
उन्होंने कहा कि चीन अमेरिका के साथ अन्यायपूर्ण व्यापार कर रहा है।
उन्होंने $360 बिलियन से ज्यादा के चीनी प्रोडक्ट्स पर भारी टैक्स लगा दिया।
💥 नतीजा: चीन ने भी पलटवार करते हुए अमेरिका से आने वाले सामानों पर टैक्स लगा दिए। इसे कहा गया US-China Trade War.
📉 इसके असर क्या हुए?
1. अमेरिकी किसानों पर असर
चीन ने अमेरिकी सोयाबीन और अन्य एग्रो प्रोडक्ट्स का बहिष्कार किया।
किसानों को नुकसान हुआ, ट्रंप प्रशासन को सब्सिडी देना पड़ी।
2. महंगाई में इज़ाफा
अमेरिकी कंपनियों को आयातित सामान महंगा पड़ने लगा।
इसका असर आम उपभोक्ताओं पर पड़ा — महंगे मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़े वगैरह।
3. ग्लोबल ट्रेड पर दबाव
WTO जैसे संगठन की भूमिका पर सवाल उठे।
सप्लाई चेन में रुकावटें आईं।
4. राजनीतिक असर
अमेरिका में ट्रंप को कुछ इंडस्ट्रीज़ से सपोर्ट मिला, लेकिन कुछ विरोध में आ गईं।
इंटरनेशनल स्तर पर अमेरिका की छवि थोड़ी आक्रामक हो गई।
तो असली सच क्या है जो आपको जानना चाहिए?
ट्रंप का टैरिफ वॉर एक राजनीतिक कदम था जिसे घरेलू वोटर्स को लुभाने के लिए इस्तेमाल किया गया।
कुछ सेक्टर को फायदा हुआ (जैसे स्टील और एल्यूमीनियम), लेकिन लॉन्ग टर्म में ज्यादा नुकसान हुआ – खासकर कंज्यूमर और एक्सपोर्टर्स को।
इससे दुनिया को ये भी समझ आया कि ग्लोबल इकोनॉमी कितनी इंटरकनेक्टेड है – एक देश की नीति पूरी दुनिया को हिला सकती है।